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मैं क्या लिखता हूँ

  मुझे लिखने का शौक हैं, पर मुझे पता नहीं मैं क्या लिखता  हूँ। जब मैं बैठता हूँ एकांत बंद कमरे में, तो मैं अपने हाले ए दिल लिखता हूँ। जब मैं होता हूँ गुसे में तो लोगों की औकात लिखता हूँ, जब होता हूँ दुःखी तो मैं अपने हालात लिखता हूँ। मुझे लिखने का शौक है, पर मुझे पता नहीं मैं क्या लिखता हूँ। कभी अपने दर्द लिखता हूँ, तो कभी दर्द छुपा कर लिखता हूँ, जब मैं होता हूँ सहज, तो मैं प्यार मोहब्बत लिखता हूँ जब मिले धोख़ा तो उसी मोहब्बत को वेबफा भी लिखता हूँ। मुझे लिखने का शौक हैं, पर मुझे पता नही मैं क्या लिखता हूँ।। कभी मैं खुद को हारा हुआ बदनसीब इंसान लिखता हूँ, तो कभी मैं खुद को दुनिया का ताकतवर  इंसान लिखता हूँ। मुझे लिखने का शौक हैं, पर मुझे पता नहीं मैं क्या लिखता हूँ।। कभी सच्चाई लिखता हु, तो कभी अच्छाई लिखता हूँ, तो कभी मैं इस दुनिया की बुराई भी लिखता हूँ। मुझे लिखने का शौक हैं, पर मुझे पता नही मैं क्या लिखता हूँ।। कभी इश्क़ तो कभी धोख़ा लिखता हूँ, मैं आज के मतलबी रिश्तों की सच्चाई लिखता हूँ। कहीं लोग मेरी जिंदगी में आते हैं और चले जाते हैं मैं उन लो...

आज की बेटियां

क्या हुआ है आज की बेटियों को,  जो हुआ करती थी शर्म - ओ- हया की मिसाल   आज नये रंगों में बदलने लगे है इनके हालात।   जो थी घर की इज्जत, एक गहना संस्कार का,  अब वो चली है भटकने, रास्ते बेकार का।  फैशन के नाम पर शराफत छोड़ दी,  सोशल मीडिया के रंगों में शर्म मोड दी।  क्या हो गया है आज की नारी को,  अपने संस्कारों को भुला कर, अपनी राह भटका ली।।  माँ बाप की सिख लगे जैसे कोई पुरानी बात,  सोशल मीडिया की दुनिया में खो बैठी अपनी जात।   कल तक जो थी मासूम, वो चालक बन गयी,  प्यार के नाम पर एक साजिश रच गई।  कभी झूठे इल्ज़ाम, कभी केसों की मार,  मर्द की इज़्ज़त लुटे, करे अदालत से वार।।  तलाक का खेल, फिर गुज़ारे का दावा,  रिश्ते को बना दिया, बस एक सौदा काला।  कहीं जला दिए गए, कहीं मार दिए गए,  कुछ फँसते गए, कुछ बेकसूर मरते गए।  कल तक जो एक बेटी थी घर की लक्ष्मी  वो आज उस घर की विनाशनि बन गयी है,  खो रही है एक माँ से उसका बेटा,  क्यों एक नारी ईतनी कुरुर बनती जा रही है।।  क्या हो गया ...

वाह रे जमाने तु कैसा खेल, खेल रहा है .

वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं ।  आज का पत्ति अपनी बीवी को छोड़ कर ,  दूसरी औरतों से इश्क़ लड़ा रहा है ।।  वाह रे जमाने तु कैसा खेलों, खेल रहा हैं , बाप बेटा आज एक साथ बैठ कर दारु पी रहे हैं,  और कहीं तो एक साथ इश्क़ की बाते कर रहे है,   वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं । ।   इश्क़ के नाम पे इंसान को जानवर बना रहा हैं।   एक लड़का घुमा रहा है दस दस लड़कियों को और उसे मोहब्बत का नाम् दिया जा रहा है ।  वाह रे जमाने तु कैसा खेल, खेल रहा हैं ।।  मैं ये सब देख कर शर्मिंदा हुए जा रहा हु ,   यहाँ तो दस दस बर्ष की लड़कियों को इश्क़ , प्यार हुए जा रहा है।   वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं ।।   सोशल मीडिया पे हर कोई ज्ञान दिए जा रहा है ,  हकीकत में वो अपने संस्कार भूलते जा रहा है । वाह रे जमाने तु कैसा खेल ,खेल रहा है ।।  हकीकत में जो सच्चा प्यार और इज्जत दिये जारहा है   उसको धोखा और जलील किया जा रहा है ।  सब सच को छोड़ के झूठ को अपनाएं जा रहे है ,  वाह रे जमाने तु कैस...

मैंने बदलते देखें है

मैंने बदलते देखे हैं दिन बदलते रात , बदलते हालात देखे है मैंने बदलते अपनो के साथ देखें है ।  मैंने बदलते अपने यार देखें है,    मैंने बदलते अपने हर बार देखें है ।। मैंने बदलते लॉगो के लिहाज देखें है  मैंने बदलते लोगों के रिबाज् देखें है ।।   मैंने बदलते लॉगो के लेहजे देखें है   मैंने बदलते आप से तू तक देखें है ।।  मैंने बदलते यार से दुश्मन होते देखें है  मैंने बदलते दुश्मन से यार होते देखें हैं ।  मैंने बदलते वो प्यार मोहब्ब्त देखें है  मैंने बदलते उनके तौर तरीके देखें है   मैंने बदलते उनके हर् सलीके देखें है । ।  मैंने बदलते जिनसे प्यार था कभी  वो आज ब्लॉक लिस्ट में देखें हैं  मैंने बदलते जिनसे कभी वो नफ़रत करते थे  वहीं उनकी following लिस्ट में देखें है ।  मैंने बदलते उनके वादे देखें है  मैंने बदलते उनके इरादे देखें हैं ।  मैंने बदलते हर शख्स को देखा है  हर मतलब के लिए हर बार बदलते देखा है ।।   मैंने बदलते देखें हैं दिन ,बदलते रात ,बदलते हालत देखें है  मैंने...

सब बदल जाता हैं

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हर शख्स बदल जाता है जहां एक ज़माने के बाद , फिके पड जाते है नगमे जहां कुछ पल गुंगुनाने के बाद || कोई हमें बनाने आता है तो कोई हमें मिटाने आता , दिल इंकार नही कर पाता है उन्हे आपनाने के बाद || कोई हंस कर गले लगाता है तो कोई रोकर अपना बताता है , हर तकलीफ भूल जाया करते है हम उनके मुस्कुराने के बाद || कुछ झूठी मोहबत जताते है तो कुछ फ्रेब का महल बनाते हैं , मन सबका भर जाता है जहां दिल में बस जाने के बाद || हर रोज कुछ रिश्ते बनते है हर रोज कुछ बिखर जाया करते है, असलियत सबकी पता चलती है जहां कुछ वक़्त बिताने के बाद ||                                           सुनील कुमार संधूरिया

याद तो आता होगा

  याद तो आता ही होगा मैं उसे जब कभी वो उन जगहों पर जाती होगी जहां कभी हम दोनों साथ बैठा करते थे । याद तो तब भी आता होगा ना जब उसे उसका नया यार किसी और नाम से बुलाता होगा , जैसे कभी मैं भी उसे मोटो नाम से बुलाया करता था । याद तो उसे तब भी आता होगा ना जब वो मेरे से भी ज्यादा प्यार करता होगा । याद तो उसे तब भी आता होगा ना जब वो उसके हाथ को ना चुम कर उसके होंठों को चुमता होगा। याद तो तब भी आता होगा जब कभी उसकी लड़ाई हो जाती होगी तब शायद उसे याद मेरी भी आती होगी याद तो उसे तब भी आता होगा जब वो खुद की गलती कर के उससे ही  सॉरी बुलाता होगा । याद तो उसे तब भी आता होगा जब वो उसे छोड़ कर किसी और के साथ जाएगा तब जरूर उसे मैं याद  आऊंगा ।                                           सुनील कुमार सन्धुरिया

🙏भारत देश आज भी गुलाम हैं🙏

कहने को तो भारत देश को आजाद हुए 75 वर्ष हो गए,  पर भारत देश आजाद हो के भी गुलाम हो गया।  हमें गोरे अंग्रेजों से तो आजादी मिल गई,  पर भारत आज गुलाम बन गया काले अंग्रेजों का।  भारत आजाद हुआ था अंग्रेजों के आत्याचारो से,  पर आज गुलाम हैं धर्मवाद और जाति वाद के आत्याचारो से।  क्या कसूर था एक छोटे से बच्चे का,  जिसकी स्कूल के मुख्यअध्यापक द्वारा पिट पिट कर हत्या की गई,,  जिस देश के विद्यार्थी को पानी के घड़े को छूने पर हत्या कर दी जाती हैं,  क्या उस देश को आजादी का नाम दिया जा सकता हैं?  आज देश में आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा हैं,  पर उस दलित परिवार में मातम मनाया जा रहा हैं।  क्या इसको ही आजादी कहते हैं??  भारत देश में कोई हिंदु कोई मुस्लिम कोई सिख तो कोई ईसाई तो कई जाति के लोग पैदा होते हैं,  हे मेरे प्यारे भारत देश क्यों नहीं तु किसी इंसान को पैदा करता हैं।  भारत ने आजादी दी नशे, जुल्म, आत्याचार भ्र् ष्टाचार, जातिवाद, और धर्मवाद को,  क्यों नहीं मिली आजादी इंसानियत को?  कहने को तो भारत लोकतंत्र का द...