भूल गए
<meta name="rankz-verification" content="mVeGaViXUO7oD76g">
बेहाल इतने रहे थे हम कि,
आज अपने हाल भूल गए हम!
यह ऊँची उड़ान भरने वाले परिंदे,
लगता हैं गुलेल की मार भूल गए.....
और कुछ वक़्त तक खामोश क्या बैठा रहा सुनील
लगता हैं तुम दुनिया वाले मेरी तलबार की धार
भूल गए!!
मुझे बस बिश्वास घात के तीरों नें भेदा था,
और मुझे अपनाने के लिए उन्होंने अपने
दोस्त को मेरे पास भेजा था!!!
जमीं धूल मेरे नाम से हट जाएगी,
जब मेरे वक़्त की आंधी चल जाएगी!
और यह जो आज नफ़रत नफ़रत करते हैं ना,
ये भी सुनील के रंग में रंग जायेंगे,,,,,
एक वक़्त के बाद यह भी भीड़ का हिस्सा बन
जायेंगे!!!!
हँसने बालों के नाम के साथ साथ चेहरे भी याद हैं,
गलती मेरी रही बरना इनकी कहा इतनी औकात हैं!
कि बता दूँ निहत्थे हाथ से घायल शेर पर बार नहीं करते,,,,,
और यह नदी नाले समंदर पर हुँकार नहीं भरते!!!
हाँ हूँ मैं घमंडी जिस रास्ते से गुजर जाऊं,,,
उस रास्ते फिर मैं झाँकता नहीं हूँ.....
मैं सुनील हूँ मेरी जान थूक के चाटता नहीं हूँ!!
सुनील कुमार संधूरिया
Comments