शायरी 2
मेरे हुनर को किसी शख़्स ने
आईना दिखा दिया..........
मुझे था पढ़ने का शोक,,,,,
उसने तो लिखना सिखा दिया!!
मुँह पर कुछ और पीठ पीछे बदलती बात देखी हैं,,,
एक एक कर के मैंने सबकी औकात देखी हैं...!!
शायद मैं इसलिए पीछे हूँ,,,
क्योंकि मुझे होशियारी नही आती,,,,
वेशक् लोग न समझे मेरी वाफ़हदारी,,
मगर मुझे गरदारी नही आती..,..!!
अब वो मुझसे मिलने की फर्याद नही करती,,
आजकल वो मुझसे बात नही करती और,,,
मुझे हिचकियाँ नहीं आती हैं मेरे,,,,,,
दोस्त, लगता हैं वो मुझे याद नहीं करती...!!
सारी दुनिया की बाते ठुकरा कर,,,,
तुझे अपना बनाया था.......
लेकिन तु भी बही निकली,,,
जो दुनिया ने बताया था....!!
दिलों में रहना सीखो,,,,,
गरूर में तो हर कोई रहता हैं......
मुँह पे कहना सीखो,,,,,,
पीठ पीछे तो हर कोई बकता हैं.....!!
चूप रहोगे तो बात कौन करेगा,,,,,
हम न रहे तुम्हे याद कौन करेगा.. .
माना कि हम इतने अच्छे नहीं हैं कि कोई हमें याद करे,,,,,
पर हमारे मरजाने के बाद कौन तुम्हे परेशान करेगा...!!
एक फूल बहुत अजीब था,,,
वो कभी मेरे दिल के करीब था....
जब चाहने लगे उसे हद से भी ज्यादा,,,
तो पता चला कि वो हमसे भी ज्यादा किसी और के करीब था...!!
आज तो लोगों के पास बहाना हैं कि
चलो किसी का अप्रेल फूल बनाते हैं
पर मेरे दोस्त इस मतलब की दुनिया से
बच के रहना ये हर दिन किसी ना किसी का फूल बनाते ही रहते हैं!!!
सुनील कुमार संधूरिया
(SK Sandhuria)
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