वाह रे जमाने तु कैसा खेल, खेल रहा है .
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं ।
आज का पत्ति अपनी बीवी को छोड़ कर ,
दूसरी औरतों से इश्क़ लड़ा रहा है ।।
वाह रे जमाने तु कैसा खेलों, खेल रहा हैं ,
बाप बेटा आज एक साथ बैठ कर दारु पी रहे हैं,
और कहीं तो एक साथ इश्क़ की बाते कर रहे है,
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं । ।
इश्क़ के नाम पे इंसान को जानवर बना रहा हैं।
एक लड़का घुमा रहा है दस दस लड़कियों को और
उसे मोहब्बत का नाम् दिया जा रहा है ।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल, खेल रहा हैं ।।
मैं ये सब देख कर शर्मिंदा हुए जा रहा हु ,
यहाँ तो दस दस बर्ष की लड़कियों को इश्क़ , प्यार हुए जा रहा है।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं ।।
सोशल मीडिया पे हर कोई ज्ञान दिए जा रहा है ,
हकीकत में वो अपने संस्कार भूलते जा रहा है ।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल ,खेल रहा है ।।
हकीकत में जो सच्चा प्यार और इज्जत दिये जारहा है
उसको धोखा और जलील किया जा रहा है ।
सब सच को छोड़ के झूठ को अपनाएं जा रहे है ,
वाह रे जमाने तु कैसा खेल, खेल रहा हैं ।।
आज के जमाने के लड़के एक ही श्यारी दस दस लड़िक्यों
को सुनाये जा रहे है ।
और लड़कियों को लगता है ये तो हम पे ही बयाये जा रहा है ।।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं । ।
आज की लड़कियां भी क्या कमाल कर रही है।
एक से अभी ब्रेक अप हुआ नहीं उससे पहले ही दूसरा त्यार कर रही हैं।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा है ।।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं,
यहाँ जो मेहनत कर रहा है ,हर कोई उससे जलता जा रहा है ,
और मुंह पे उसको अपना बताये जा रहा है ।।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं ।।
आज मुझे लिखना पढ़ रहा मजबूरी मे है ,
क्युकी यहाँ सुनने को त्यार नही कोई जमाने में।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा है
यहाँ सच्चे रिश्तों को भुलाये जा रहे है ,
और झूठे रिश्तों को गले लगाए जा रहे है ।।
वाह रे जमाने तु कैसा खेल खेल रहा हैं ।।
सुनील कुमार संधूरिया
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