सब बदल जाता हैं

हर शख्स बदल जाता है जहां एक ज़माने के बाद , फिके पड जाते है नगमे जहां कुछ पल गुंगुनाने के बाद || कोई हमें बनाने आता है तो कोई हमें मिटाने आता , दिल इंकार नही कर पाता है उन्हे आपनाने के बाद || कोई हंस कर गले लगाता है तो कोई रोकर अपना बताता है , हर तकलीफ भूल जाया करते है हम उनके मुस्कुराने के बाद || कुछ झूठी मोहबत जताते है तो कुछ फ्रेब का महल बनाते हैं , मन सबका भर जाता है जहां दिल में बस जाने के बाद || हर रोज कुछ रिश्ते बनते है हर रोज कुछ बिखर जाया करते है, असलियत सबकी पता चलती है जहां कुछ वक़्त बिताने के बाद || सुनील कुमार संधूरिया