भूल गए

<meta name="rankz-verification" content="mVeGaViXUO7oD76g"> बेहाल इतने रहे थे हम कि, आज अपने हाल भूल गए हम! यह ऊँची उड़ान भरने वाले परिंदे, लगता हैं गुलेल की मार भूल गए..... और कुछ वक़्त तक खामोश क्या बैठा रहा सुनील लगता हैं तुम दुनिया वाले मेरी तलबार की धार भूल गए!! मुझे बस बिश्वास घात के तीरों नें भेदा था, और मुझे अपनाने के लिए उन्होंने अपने दोस्त को मेरे पास भेजा था!!! जमीं धूल मेरे नाम से हट जाएगी, जब मेरे वक़्त की आंधी चल जाएगी! और यह जो आज नफ़रत नफ़रत करते हैं ना, ये भी सुनील के रंग में रंग जायेंगे,,,,, एक वक़्त के बाद यह भी भीड़ का हिस्सा बन जायें...